दर्द, जलन और कब्ज जैसे मूल कारणों को कम करके बवासीर, पाइल्स फिस्टुला, फिशर या भगंदर से राहत देता है।

आयुर्वेद क्या कहता है?

आयुर्वेद के अनुसार बवासीर को अर्श कहा जाता है, यह एक ऐसा रोग है जो रोगी की प्राण शक्ति को कष्ट देता है। यह स्थिति आमतौर पर वात और पित्त दोषों के बीच असंतुलन के कारण उत्पन्न होती है, जिसके कारण आपकी पाचन संबंधी चिंताएँ भिन्न हो सकती हैं।

इसलिए बवासीर के इलाज के लिए ज्यादातर आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां दोष के स्तर को अनुकूलित करने की दिशा में काम करती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि अग्नि (शरीर की गर्मी ऊर्जा) में सुधार हो और कुशलता से काम कर रहा हो।
  • खून बहने से रोकता है
  • दर्द से राहत देता है
  • शरीर को डिटॉक्सीफाई करता है
  • सूजन कम करता है
  • पोस्ट केयर की ज़रुरत नही पड़ती
  • दोषों को बैलेंस करता है।
  • सूजन को दबाता है
  • पाचन में सुधार करता है
  • लंबे समय तक इस्तेमाल के लिए सुरक्षित है
  • आयुष प्रमाणित
  • सर्जरी के लिए सबसे अच्छा विकल्प

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